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मैनपुरी-पात्र होने के बाद भी झोपड़ी में जीवन यापन कर रहे

by morning on | 2025-05-25 17:33:05

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मैनपुरी-पात्र होने के बाद भी झोपड़ी में जीवन यापन कर रहे

फोटो परिचय-बच्चों के साथ पॉलिथीन की झोपड़ी के सामने खड़ी निर्मला देवी।

Morning City

- भूमिहीन परिवार को नहीं मिला सरकार की योजना का लाभ


- अबला कहे जाने के कलंक से जूझ रही लहरा गांव की गरीब महिलाएं


मैनपुरी। तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े झूठे हैं, यह दावा किताबी है। मरहूम कबि अदम गोड़वी की यह लाइने विकासखंड सुल्तानगंज क्षेत्र के ग्रामीण इलाके की बिथा पर सटीक बैठती हैं। प्रदेश की योगी सरकार भले ही भगवान कृष्ण की तरह गरीबों के ऊपर हुन्डी की बरसात कर रही हो मगर सरकारी योजनाओं के हकदार गरीब आज भी छले जा रहे हैं।
जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूर विकासखंड सुल्तानगंज क्षेत्र के ग्राम लहरा के गरीब आज भी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। प्रदेश की योगी सरकार और देश की मोदी सरकार गांव के गरीबों पर विकास के लिए करोड़ों रुपए बर्बाद कर रही है। मगर गरीबों के हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं। सरकारी आवास के असली हकदार विकास की आस में बैठे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी योजनाएं तो आई लेकिन वह फाइलों में ही दम तोड़ गई। आइऐ लहरा गांव की कुछ गरीब महिलाओं से हम आपको रूबरू कराते हुए बताते हैं। आंचल में दूध, आंख में पानी, अबला तेरी यही कहानी जैसी कहावतो को महिलाओं ने सबला बनकर काफी हद तक झुठला दिया है। लेकिन उसके बाद भी महिलाओं के साथ जुड़ा अबला कहे जाने वाला कलंक पूरी तरह से नहीं धुल सका है। सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए दर्जनों योजनाएं संचालित कर रखी हैं। उसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए आज भी दर्जनों महिलाएं सरकार की ओर टकटकी लगाकर देख रही है। हम बात कर रहे हैं लहरा निवासी निर्मला देवी की। जिसका पति ईंट भट्ठे पर रहकर मेहनत मजदूरी करता है। निर्मला देवी अपने चार-पांच बच्चों के साथ पॉलिथीन की टूटी-फूटी सी बनी झोपड़ी में गुजर बरसात करती है। निर्मला देवी का कहना है कि वह भूमिहीन है। जिसका पूरा परिवार एक झोपड़ी में रहकर अपनी गुजर बसर कर रहा है। उसका कहना है कि बरसों से पक्के मकान का सपना देख रही है। कई बार उसने सरकारी आवास के लिए भी आवेदन किया लेकिन उसकी बात कहीं भी नहीं सुनी गई। अब सारे दिन मेहनत मजदूरी कर अपनी बच्चियों को पालने में लगी रहती है। वह कहती है की रोटी जुटाने में दिन छोटा पड़ जाता है। यह हाल अकेली निर्मला देवी का नहीं है यही हाल इन्हीं के पड़ोस में रहने वाली पूजा का भी है ठीक बगल में रहने वाली उर्मिला देवी भी महिला होने के नाम के कलंक से जूझ रही हैं। उर्मिला देवी ने बताया कि जिनकी जेब में दाम है उसे ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। गांव के हालात आज भी बद से बदतर हैं। चुनाव के दौरान लंबे चौड़े बादे करने वाले सफेद पोस फिर मुड़कर भी नहीं देखेते। गरीबी और बदहाली की कहानी किससे बयां करूं।

अपनी मासूम बेटी के साथ झोपड़ी में रह रही
गांव के आखिरी छोर पर टूटी फूटी सी दीवार। उसके सहारे गर्म हवाओं को रोकने के लिए लटक रही पॉलिथीन उसके उपर घास फूस की बनी छत वरबस ही गांव आने वालों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। इस झोपड़ी में सुग्रीव कश्यप की पत्नी पूजा अपनी मासूम वेटी के साथ रहती है ।सबसे मदद मांगी मगर किसी ने अपने हाथ नहीं बढ़ाए। गरीबी ने ऐसा घेरा सब कुछ बर्बाद हो गया ।यह किसी एक गरीब की कहानी नहीं है। कहते हैं कि एक ढूंढो तो हजार मिलते हैं।

सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबो को नहीं मिलता
टूटी फूटी सी झोपड़ी में पड़ी चारपाई के ऊपर पत्नी के साथ खाना खाते समय अंबिका प्रसाद कश्यप ने बताया की सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिलता है। जिसकी जेब में दम होती है। उसी को सरकारी आवास या सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है।

योजनाएं आवास कभी नहीं दे पाई
पॉलिथीन की झोपड़ी में परिवार के साथ खड़े महेश चंद ने बताया सरकार द्वारा नाम बदल बदल कर संचालित आवास योजनाएं भी उसे पक्का मकान नहीं दे सकी। चाहे इंदिरा आवास हो या फिर लोहिया आवास, पात्र होने के बाद भी उसे आवास क्यों नहीं मिला। यह सवाल जवाब मांग रहा है। गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को दो समय की रोटी देने के लिए सरकार ने भले ही सस्ती दर पर राशन देने को खाद्य सुरक्षा अधिनियम योजना शुरू कर रखी है। लेकिन इस गरीब परिवार को उसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

क्या बोले पीडी विकास भवन
गांव लहरा में पात्र होने के बाद भी कुछ परिवार झोपड़ी में रह रहे है, इनके बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे परिवारो की जानकारी कराई जाएगी, पात्र होने के बाद भी इनका चयन आवास के लिए क्यो नहीं किया गया, इसके बारे में भी जानकारी की जाएगी, अगर वह लोग पात्र है तो उन्हे योजना का लाभ दिलाया जाएगा।- सत्येंद्र कुमार, पीडी विकास भवन मैनपुरी।

क्या बोले प्रधान प्रतिनिधि
जो लोग पात्र हैं उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। जिन पात्रों को सरकारी आवास का लाभ नहीं मिला है। उनके लिए प्रयास किया जा रहा है। किसी गरीब के हक को मारा नहीं जाएगा। गांव का विकास ही मेरा पहला उद्देश्य है।- रामानंद कश्यप, प्रधान प्रतिनिधि ग्राम पंचायत लहरा।




फोटो परिचय-टूटी-फूटी झोपड़ी में चारपाई पर बैठे खाना खाते गरीब अंबिका प्रसाद।

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